नई दिल्ली/रमा चौधरी. (Ustad Zakir Hussain death) रविवार की देर रात संगीत और उस्ताद ज़ाकिर हुसैन के फैन्स के लिए दुखद खबर सामने आई कि अब भारत के मशहूर तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन अब हमारे बीच नहीं रहे (Ustad Zakir Hussain death)। अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में एक अस्पताल के आईसीयू में उन्हें भर्ती कराया गया था। उन्हें ब्लड प्रेशर से संबंधित परेशानी थी जिसके चलते उन्हें एडमिट करवाया गया था 73 साल की उम्र में उनका निधन हो गया (Ustad Zakir Hussain death)।
पिता से विरासत में मिली थी संगीत की तालीम (Ustad Zakir Hussain death)
उस्ताद जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 में मुंबई (Mumbai) में उस्ताद अल्ला रक्खां (Allah Rakha) के घर हुआ था और उनसे ही उन्हें तबले की तालीम मिली थी। उस्ताद जाकिर हुसैन के हुनर और जज्बे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने सिर्फ 12 साल की उम्र में ही अपने करियर का पहला कॉन्सर्ट किया था। प्रारंभिक शिक्षा और स्नातक की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने अपने रुझान को देखते हुए संगीत को ही अपने करियर के रूप में चुना और पिता से मिली इस विरासत का दामन थाम कर ही चलना शुरू कर दिया। तब से लेकर आज तक लगभग 62 साल तक उनका और तबले का साथ नहीं छूटा (Ustad Zakir Hussain death)। उन्हें ऐसे तो कई अवार्ड दिए गए लेकिन तीन बड़े अवॉर्ड से उन्हें नवाजा गया जिनमें भारत के उच्चतम सम्मान पद्म विभूषण,पद्मश्री औऱ ग्रेमी अवार्ड इनमें प्रमुख हैं। उस्ताद जाकिर हुसैन न सिर्फ म्यूजिक बल्कि एक्टिंग की दुनिया में भी कदम रखा था। साल 1983 में जाकिर हुसैन ने फिल्म ‘हीट एंड डस्ट’ से एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद 1988 में ‘द परफेक्ट मर्डर’, 1992 में ‘मिस बैटीज चिल्डर्स’ और 1998 में ‘साज’ फिल्म में भी उन्होंने अभिनय किया।
यह भी पढ़ें- सेल्फी लेने के चक्कर में खाई में गिरी महिला
आसान नहीं थी उस्ताद ज़ाकिर हुसैन की लव मैरिज(Ustad Zakir Hussain death)
1970 के दशक में उस्ताद जाकिर हुसैन कैलिफोर्निया के बे एरिया में तबले की ट्रेनिंग लेने के लिए गए जहां उनकी मुलाकात एंटोनिया (Antonia Minnecola) से हुई जो वहां से कत्थक की ट्रेनिंग ले रहीं थीं। वह उनका इंतजार करते और क्लास के बाद उन्हें फॉलो करने लगे।एंटोनिया को भी जाकिर पसंद थे।
एंटोनिया के पेरेंट्स अपनी बेटी की शादी किसी संगीतकार से नहीं करना चाहते थे इसीलिए जाकिर और एंटोनिया को उन्हें मनाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। वहीं दूसरी ओर अब बारी थी ज़ाकिर हुसैन के घरवालों को मनाने की। पिता से अच्छी बॉन्डिंग क कारण उन्होंने पिता को सब बता दिया। उनके पिता बच्चों को खुश देखना चाहते थे इसलिए उन्होंने गुप्त रूप से उनकी शादी कर दी। तब उनकी माँ को बताया। उनकी माँ थोड़ी नाराज़ हुई औऱ कुछ सालों बाद उन्होंने एंटोनिया को अपनाया।
यह भी पढ़ें- देश मे पहली बार उत्तराखंड में हुआ ढाई दिन की बच्ची का देहदान, दिल सम्बन्धी बीमारी से हुई थी मौत
हमेशा स्मृति में रहेंगे उस्ताद ज़ाकिर हुसैन (Ustad Zakir Hussain death)
जब भी हम संगीता तबले के बारे में सोचते हैं तो तबले को थाप देते हुए उस्ताद जाकिर हुसैन की तस्वीर ही हमारे जहन में आती है। उन्होंने न सिर्फ अपने पिता उस्ताद अल्ला रक्खा खां की पंजाब घराने (पंजाब बाज) की विरासत को आगे बढ़ाने का काम किया, बल्कि तबले क जरिए भारतीय शास्त्र संगीत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लेकर गए। उस्ताद को संगीत की दुनिया का सबसे बड़ा ग्रैमी अवॉर्ड 1992 में ‘द प्लेनेट ड्रम’ और 2009 में ‘ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट’ के लिए मिला। इसके बाद 2024 में उन्हें तीन अलग-अलग संगीत एलबमों के लिए एकसाथ तीन ग्रैमी मिले। 1978 में जाकिर हुसैन ने कथक नृत्यांगना एंटोनिया मिनीकोला से शादी की थी। उनकी दो बेटियां हैं, अनीसा कुरैशी और इसाबेला कुरैशी हैं। साल 1973 उस्ताद जाकिर हुसैन का पहला एलबम लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड आया था और 22 मार्च 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया। 15 दिसम्बर 2024 में उन्होंने हम सबको अलविदा कह दिया (Ustad Zakir Hussain death)। अब भले ही तबले पर उनके हाथों की थाप नहीं मिल पाएगी लेकिन हमारे जहन में उनके संगीत की धुन हमेशा जिंदा रहेगी।