पॉलीग्राफ से अंकिता हत्याकांड के मुख्य आरोपी पुलकित का पकड़ा जाएगा झूठ, जानिये क्या होता है पॉलीग्राफ टेस्ट ?

 

उत्तराखंड के बहुचर्चित मामले अंकिता हत्याकांड से जुड़ी बड़ी अपडेट है कि अंकिता हत्याकांड के मुख्य आरोपी पुलकित आर्य का पॉलीग्राफ टेस्ट 1 फरवरी से 3 फरवरी तक किया जाएगा।
अकेले कमरे में पुलकित का पॉलीग्राफ टेस्ट करके इस बात का खुलासा हो सकता है कि पुलकित झूठ बोल रहा है या सच। इसके लिए पुलकित का मेडिकल भी करवाया जाएगा। दरअसल, नार्को टेस्ट को लेकर अभी स्लॉट के ना होने से टेस्ट नही हो पा रहा है। हलांकि न्यायालय से पुलकित के नार्को टेस्ट की अनुमति दे दी थी और दिल्ली केंद्रीय फॉरेंसिक लैब में नार्को टेस्ट की तिथि भी घोषित की गई थी। इसलिए पुलकित का तीन दिन तक पॉलीग्राफ टेस्ट करवाया जाएगा।

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अब आप सोच रहे होंगे कि पॉलीग्राफ टेस्ट होता क्या है ?

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पॉलीग्राफ जांच या Polygraph Test अपराधी के झूठ को जानने के लिए किया जाता है। इस टेस्ट की प्रोसेस बहुत अगल है।

मिली जानकारी के मुताबिक, पॉलीग्राफ टेस्ट में इंसान को कोई ड्रग नहीं दिया जाता न ही कोई इंजेक्शन दिया जाता है।

पॉलीग्राफ टेस्ट में कैसे पता चलता है कि अपराधी झूठ बोल रहा है ?

पॉलीग्राफ टेस्ट में आरोपी या संदिग्ध व्यक्ति के शरीर को मशीन की तारों से जोड़ा जाता है और उससे पूछताछ की जाती है। इस टेस्ट में उस आरोपी या अपराधी की धड़कन ,पल्स रेट ,ब्लड प्रेशर हाथ पैर की गतिविधियों पर नजर रखी जाती है। अगर वह झूठ बोलता है या गलत बोलता है तो उसके दिमाग के सिग्नल, हार्ट बीट ,पल्स ,ब्लड प्रेशर हाथ पैर की गतिविधियों में बदलाव देखा जाता है।

पॉलीग्राफ टेस्ट में एक मशीन का इस्तेमाल किया जाता है। पॉलीग्राफ मशीन द्वारा आरोपी व्यक्ति का झूठ पकड़ा जा सकता है। संगीन अपराध में लिप्त शख्स के खिलाफ सबूत पेश करने के लिए पॉलीग्राफ टेस्ट काफी मददगार होता है। इस टेस्ट में आरोपी की हर्ट रेट धड़कन, रक्तचाप( ब्लर्ड प्रेसर) और दिमाग के सिग्नल में होने वाले परिवर्तन को देखा जाता है।

पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए नियम

आरोपी या अपराधी का पॉलीग्राफ टेस्ट करने के लिए पहले कोर्ट से परमिशन लेनी पड़ती है। परमिशन मिलने पर इस टेस्ट में आरोपी शख्स को एक कमरे में ले जाकर अपराध से जुड़े अहम सवाल पूछे जाते हैं । अगर वह पूछे गए सवाल का जबाब गलत देता है तो उसके दिमाग से एक सिग्नल P300 (P3) निकलता है। इसके साथ ही उसके हर्ट रेट और ब्लर्ड प्रेसर में भी बदलाव आ जाता है। इन परिवर्तन या सिग्नल्स को कंप्यूटर में सहेजकर इन सिग्नल्स की जाँच की जाती है और अदालत में पेश किया जाता है।

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