एच टी ब्रेकिंग डेस्क– उत्तराखंड में 14 फरवरी को मतदान हुए और अब करीब 1 महीने के बाद यानी कल नतीजे आएंगे। पार्टी और नेताओं के भविष्य का फैसला कल इसी वक्त होगा। 10 मार्च कल तक आशंकाओं के बादल छट जाएंगे। कल जनता जनार्दन के फैसले से यह पता चल जाएगा कि जनता को भाजपा के सबका साथ सबका विकास के नारे पर भरोसा हुआ या फिर उत्तराखंड कांग्रेस चार धाम चार काम के नारे से प्रदेश के दिल में जगह बना पाई। 82 लाख मतदाताओं ने 632 प्रत्याशियों के भाग्य को लिखा और कल उस ईवीएम का पिटारा खुलेगा जिसमें प्रत्याशियों की किस्मत कैद हो गई थी। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियां जीत का दावा कर रही है लेकिन प्रदेश में काउंटडाउन शुरू हो चुका है। जहां एक तरफ प्रदेश की जनता नतीजों का बेसब्री से इंतजार कर रही है तो वही प्रत्याशियों के दिल की धड़कन तेज हो गई है। मतगणना की तैयारियां करने वाली पार्टियों के प्रत्याशियों के लिए आज की रात कयामत की रात, महसूस होगी क्योंकि कल उनकी किस्मत का फैसला आएगा।
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हम बड़ी -बड़ी राजनीतिक पार्टियों की,,राजनीतिक चुनौती स्वीकार करते हैं…जनता के दरबार में यह साबित होगा..
जनता हमसे और हम जनता से प्यार करते हैं… यह बात हर पार्टी के उन खिलाड़ियों के मुंह से सुनने को मिल रही है जिन्होंने इस बार चुनावी खेला में भाग लिया और जीत की हुंकार भरी। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के लिए कांग्रेस ,भाजपा और आम आदमी पार्टी के अलावा निर्दलीय प्रत्याशियों ने अपनी शक्ति प्रदर्शन के लिए दिन रात एक कर दिए।
वहीं देवभूमि की जनता के दिल में जगह बनाने और प्रदेश के कई मुद्दों पर वोटरों को साधने के कांग्रेस और भाजपा के अलावा आम आदमी पार्टी के दिग्गज भी देवभूमि में धुआंधार प्रचार करते नजर आए। मतदान के बाद कांग्रेस सतर्क हो गई है। कांग्रेस 5 साल बीजेपी और 5 साल कांग्रेस का रिवाज बरकरार रखना चाहती है तो वही भाजपा इस मिथक को तोड़ देना चाहती है। हालांकि दोनों ही पार्टियां बहुमत के साथ सरकार बनाने का दावा कर रही है लेकिन वहीं दोनों की सांसें नतीजों को लेकर थम गई है।
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साल 2017 की तरह कांग्रेस इस बार कोई चूक करने में मूड में नहीं है इसलिए स्ट्रांग रूम की सुरक्षा से लेकर प्रत्याशियों की सुरक्षा की चिंता कांग्रेस को सताती नजर आई। वही चैनलों के एग्जिट पोल ने कांग्रेस की टेंशन बढ़ा दी। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के आगाज के दौरान प्रदेश में धुआंधार तरीके से हुए चुनाव प्रचार करने के लिए पार्टियों के दिग्गजों के देवभूमि आगमन का सिलसिला शुरू हुआ जो मतदान के बाद अब भी मतगणना तक जारी रहेगा। मतगणना के मद्देनजर जहां भाजपा को भितरघात का खौफ है तो वही कांग्रेस प्रत्याशियों की सुरक्षा को लेकर डर रही है। कांग्रेस ने अपने जिताऊ प्रत्याशियों की निगरानी के लिए आब्जर्वर तैनात किए तो वही रिजल्ट के बाद उन्हें दूसरे राज्यों में भी रखा जा सकता है। कांग्रेस, भाजपा के विधायकों की खरीद-फरोख्त के स्टंट को देखकर घबरा रही है तो वहीं भाजपा का कहना है कि हमें विधायकों की खरीद-फरोख्त करने की जरूरत नहीं बहुमत से भाजपा आ रही है।
कुल मिलाकर जहां एक तरफ जीत की उम्मीद और बड़े-बड़े दावे हो रहे हैं तो वहीं दूसरी और दोनों ही पार्टियों को जनता के फैसले का डर सता रहा है । राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एग्जिट पोल में जो आंकड़े सामने आये उनका आधार प्रदेश में कम समय में तीन बार मुख्यमंत्री का बदला जाना, राज्य में मूलभूत सुविधाओं का पूर्ण रूप से न मिल पाना, बड़े पैमाने पर पर्यावरण विनाश, नौकरियों की कमी, महामारी जैसे फैक्टर हैं। अब देखना यह होगा कि इन मुद्दों को लेकर जनता ने किस पर भरोसा जताया है।