उत्तराखंड का ताइक्वांडो में जलवा; नितेश सिंह ने जीता स्वर्ण, लतिका भंडारी को कांस्य

Admin

देहरादून. 38वें राष्ट्रीय खेल में ताइक्वांडो का चौथा और अंतिम दिन रोमांचक मुकाबलों से भरा रहा, जहां खिलाड़ियों ने क्योर्गी और पूमसे दोनों श्रेणियों में अपना दमखम दिखाया। इस आयोजन ने कई नए चैम्पियनों को जन्म दिया और खेल प्रेमियों को जबरदस्त प्रतिस्पर्धा देखने का मौका मिला।

महिला क्योर्गी (अंडर 53 किग्रा) में गुजरात की जेना दीपेश राजा ने बाजी मारी

महिला क्योर्गी अंडर 53 किग्रा भार वर्ग में गुजरात की जेना दीपेश राजा ने स्वर्ण पदक अपने नाम किया। चंडीगढ़ की रक्षा चहर को रजत पदक से संतोष करना पड़ा। उत्तराखंड की लतिका भंडारी और केरल की शिवांगी चनंबम ने कांस्य पदक जीते।वहीं, अंडर 67 किग्रा वर्ग में केरल की मार्गरेट मारिया रेगी विजेता बनीं, जबकि महाराष्ट्र की सिद्धि अतुल बिंदल ने रजत पदक जीता। उत्तर प्रदेश की मधु सिंह और तमिलनाडु की कीर्तना के ने कांस्य पदक हासिल किए।

पुरुष क्योर्गी (अंडर 63 किग्रा) में उत्तराखंड के नितेश सिंह ने जीता स्वर्ण

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पुरुष क्योर्गी स्पर्धाओं में भी जबरदस्त मुकाबले देखने को मिले। उत्तराखंड के नितेश सिंह ने अंडर 63 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर प्रदेश का नाम रोशन किया। हरियाणा के हर अजय कुमार को रजत पदक से संतोष करना पड़ा, जबकि केरल के सृजित बी और मध्य प्रदेश के आदित्य प्रजापति ने कांस्य पदक अपने नाम किए। अंडर 80 किग्रा वर्ग में दिल्ली के शिवांश त्यागी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक जीता। सर्विसेज के अक्षय हुड्डा को रजत और गुजरात के तेज पटेल व केरल के मनु जॉर्ज को कांस्य पदक मिले।

पूमसे में अरुणाचल और मिजोरम का दबदबा

पूमसे स्पर्धाओं में अरुणाचल प्रदेश की महिला टीम (उली लूमटर, बंगसिया राधा, और संगा आचुम) ने शानदार प्रदर्शन कर स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया। मणिपुर की टीम (मंगशताबम उमेली, लामंगनबी चानू सोरैसाम, और बिजया देवी इरोम) को रजत मिला। असम और केरल ने कांस्य पदक साझा किया।

पुरुष पूमसे में मिजोरम की टीम (वनलालफेला एच, लालहुमथंगा डेनियल, और ललथलंपुआमपुइया) ने बेहतरीन प्रदर्शन कर स्वर्ण पदक जीता। सर्विसेज की टीम को रजत मिला, जबकि राजस्थान और अरुणाचल प्रदेश की टीमों को कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा।

भारत में ताइक्वांडो का बढ़ता कद

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38वें राष्ट्रीय खेल में ताइक्वांडो प्रतियोगिता ने खेल भावना, कौशल और प्रतिस्पर्धात्मक जज्बे का अद्भुत प्रदर्शन किया। खिलाड़ियों ने न केवल पदकों के लिए संघर्ष किया, बल्कि इस खेल में भारत की बढ़ती ताकत का प्रमाण भी दिया। इन शानदार प्रदर्शनों से भविष्य में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय ताइक्वांडो खिलाड़ियों की सफलता की उम्मीदें और प्रबल हो गई हैं।

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