देहरादून. अ सोल आर्ट फाउंडेशन एवं कलागिरी आर्ट एंड क्रॉफ्ट फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में “भद्राज मंदिर – 2.0” अंतरराष्ट्रीय चित्रकला कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में भारत और नेपाल के सैकड़ों प्रतिष्ठित कलाकारों ने भाग लिया। भारत के उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, मुजफ्फरनगर, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं राजस्थान से आए कलाकारों ने अपनी अनूठी कलाकृतियों के माध्यम से अपनी प्रतिभा का परिचय दिया।
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इस कार्यशाला में प्रमुख कलाकार के रूप में भारत के प्रसिद्ध जलरंग कलाकार बिजय बिस्वाल जी विशेष रूप से उपस्थित रहे। उन्हें रेल चित्रकार के रूप में जाना जाता है, क्योंकि उनकी कलाकृतियों में रेलवे स्टेशनों और रेलगाड़ियों के चित्रण की विशेष पहचान है। साथ ही, उन्होंने विभिन्न ऐतिहासिक भवनों, मंदिरों, किलों, राजमहलों और प्राचीन इमारतों को जलरंग माध्यम से जीवंत किया है। कार्यशाला के दौरान उन्होंने भद्राज मंदिर एवं उसके आसपास के पहाड़ी परिदृश्य, ग्रामीण जीवन और वनस्पति सौंदर्य को उकेरा, जिसे देखकर उपस्थित दर्शक और प्रतिभागी कलाकार मंत्रमुग्ध हो गए।
भारत के बेंगलुरु से आए उभरते युवा कलाकार एम.के. गोयल भी इस कार्यशाला में आमंत्रित रहे। उन्होंने उत्तराखंड को “देवभूमि, तपोभूमि एवं योगभूमि” के रूप में चित्रित करते हुए एक संत का चित्र बनाया। उनके चित्र में रंग संयोजन और चित्र संरचना का उत्कृष्ट संतुलन देखा गया, जिसने प्रतिभागियों को कला की नई तकनीकों को सीखने का अवसर दिया।
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उत्तर प्रदेश के काशी से पधारे युवा कलाकार हरिदर्शन सांख्य जी ने हिमालय, पर्वतीय प्राकृतिक सौंदर्य और उत्तराखंड की स्थानीय विशेषताओं को अपनी तूलिका से कैनवास पर उकेरा। उनके द्वारा चित्रित प्राकृतिक दृश्य इतने प्रभावशाली थे कि सभी प्रतिभागियों ने हर्षोल्लास और प्रशंसा व्यक्त की,
मुजफ्फरनगर के प्रवीण सैनी, देहरादून के जाकिर हुसैन, सुरेंद्र सिंह, सहित अन्य कलाकारों ने जलरंग और ऐक्रेलिक माध्यमों से प्रभावशाली कृतियाँ प्रस्तुत कीं।
देवभूमि उत्तराखंड विश्वविद्यालय, ललित कला विभाग के सहायक आचार्य डॉ. मंतोष यादव को भी आमंत्रित कलाकार के रूप में आमंत्रित किया गया। उन्होंने भद्राज मंदिर, पर्वतीय परिदृश्य और ग्रामीण जीवन को खूबसूरती से चित्रित कर सभी को प्रेरित किया।
महाराष्ट्र के मूर्तिकार ईश्वर शहाजी उमाप ने मिट्टी से एक मनमोहक बॉबी राजवंशी की मुखाकृति बनाकर कार्यशाला में अपनी विशेष पहचान बनाई।
कार्यशाला के संयोजक राहुल कुमार (संस्थापक, अ सोल आर्ट फाउंडेशन) ने कहा कि ऐसी कार्यशालाएँ कलाकारों को एक-दूसरे की कला तकनीकों से परिचित कराती हैं और उनके कौशल को निखारने का अवसर देती हैं। राहुल कुमार जी ने सभी आमंत्रित कलाकारों को तहे दिल से धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन भविष्य में भी अनवरत चलते रहेंगे.
कार्यशाला के सह-संयोजक उर्मिला राय (संस्थापिका, कलागिरी आर्ट एंड क्राफ्ट) एवं उत्तम राय (सह-संस्थापक, कलागिरी आर्ट एंड क्राफ्ट) ने इस आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुऐ सभी का अभिवादन किया.
कार्यशाला की सलाहकार समिति में सुभारती विश्वविद्यालय, देहरादून के विभागाध्यक्ष संतोष कुमार साहनी, सहायक आचार्य शेफाली नेगी और देवभूमि उत्तराखंड विश्वविद्यालय के सहायक आचार्य डॉ. मंतोष यादव ने समय-समय पर मार्गदर्शन प्रदान किया, जिससे यह आयोजन सफलता पूर्वक संपन्न हुआ।
इस कार्यशाला की समिति के सदस्य आयुष रावत, बॉबी राजवंशी ,दिलीप कुमार पुट्टे, शिवानी बडोनी, सहित अन्य सदस्यों ने अत्यंत मनोयोग से कार्य कर इस कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
“भद्राज मंदिर – 2.0” चित्रकला कार्यशाला न केवल एक कला मंच बनी, बल्कि विभिन्न प्रदेशों के कलाकारों के लिए सीखने, साझा करने और नए दृष्टिकोणों से अवगत होने का अवसर भी बनी। इस कार्यशाला ने युवा कलाकारों को अपनी प्रतिभा को निखारने और देश-विदेश के कलाकारों के साथ संवाद स्थापित करने का एक सुनहरा अवसर प्रदान किया।