देहरादून. रात इंसान के आराम करने के लिए होती है लेकिन कई लोगों के खर्राटों की वजह से दूसरे लोगों को परेशानी होती है . कोई न कोई ऐसा शख्स जरूर होता है जो सोते वक्त खर्राटे लेता है और अन्य लोगों को परेशान करता है. अमूमन लोग इस परेशानी को सामान्य बात मानकर गंभीरता से नहीं लेते लेकिन यह कोई बीमारी का संकेत भी हो सकते हैं. अगर किसी को इस तरह की दिक्कत है तो डॉक्टर की सलाह जरूरी है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस तरह की दिक्कत बच्चों को भी हो सकती है. बच्चों या बड़ो में इस तरह की दिक्कत को हल्के में नहीं लेना चाहिए.
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दून अस्पताल के सीएमएस प्रो. अनुराग अग्रवाल ने बताया कि कई बार खर्राटे आना सामान्य होता है. हम लोग मानते हैं कि खर्राटे लेना वाला इंसान अच्छी नींद ले रहा है लेकिन ऐसा नहीं होता कई बीमारियों के चलते भी खर्राटे आते हैं. उन्होंने कहा है कि खर्राटे लेने का मतलब कई बार ऐसा होता है कि उस इंसान की नींद बार-बार टूटती है और 6 घण्टे में नींद बार-बार टूटने का क्रम कई बार होता है. इतने उस इंसान का बीपी, शुगर और दिल की धड़कन बढ़ जाते हैं. ये परेशानियां उसके शरीर के लिए खतरनाक हो सकता हैं.
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इसके साथ ही जब रात को इंसान की बार-बार नींद टूटने से पूरी नहीं हो पाती तो वह इंसान दिन में सोता है, गाड़ी चलाने के दौरान भी उसको झपकी लग जाती है और कई बार ऐसे मामलों में उसे एक्सीडेंट का शिकार हो जाता है.
सीएमएस ने बताया कि दून अस्पताल में एक्सपेरिमेंट के तौर पर एक मशीन लाई गई है इसे स्लीप लैब कहा जाता है. उन्होंने बताया कि जल्द ही अस्पताल में बड़ी मशीन आ जाएगी जिससे व्यक्ति की ओवरनाइट जांच हो सकेगी और खर्राटों की वजह के बाद उसका सही इलाज हो पाएगा.
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उन्होंने बताया कि खर्राटे आना कई बार सामान्य प्रक्रिया मानी जाती है. ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया (ओएसस) समस्या तब होती है, जब सोते वक्त हवा के ऊपरी मार्ग में या तो पूरी तरह से बाधा आती है या फिर आंशिक तौर पर आ जाती है. इस तरह की परेशानी होने पर खर्राटे आना शुरू हो जाता है. हालांकि इस तरह की दिक्कत आमतौर पर बड़ों को होती है, लेकिन कई बार इस तरह की दिक्कत बच्चों को भी हो सकती है. इसलिए आप इसे हल्के में न लें.