देहरादून: उत्तराखंड में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा बनाए गए देवस्थानम प्रबंधन को धामी सरकार में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने निरस्त कर दिया है।राज्य में चारधाम के पुरोहितों के विरोध के बाद सरकार को आखिरकार पुरोहितों की मांग पूरी करनी पड़ी। विधेयक पर राज्यपाल की मुहर लगने के साथ ही चारधाम देवस्थान प्रबंधन एक्ट निरस्त हो गया है। सरकार की ओर से इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। प्रदेश में चारधाम में पूर्व की व्यवस्था लागू होगी बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर कमेटी को केदारनाथ, बदरीनाथ में व्यवस्था का संचालन करेगी। कार्यकाल में 27 नवंबर 2019 को केबिनेट ने उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन विधेयक को मंजूरी गई थी। राजभवन से मंजूरी के बाद यह कानून बन गया था 25 फरवरी 2020 को इसकी अधिसूचना जारी कर बोर्ड का गठन किया गया। इस व्यवस्था से चारधाम के पंडा पुरोहित में भारी नराजगी थी। उनका कहना था कि उनके हक्कूकों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, दशकों से चली आ छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए। अधिसूचना जारी उत्तराखण्ड और नीतिगत फैसलों पर नियंत्रण करना कहती है चारधाम के पंडा पुरोहितों के विरोध को देखते हुए धामी सरकार ने एक्ट को निरस्त किए जाने का निर्णय लिया और शीतकालीन सत्र में देवस्थानम प्रबंधन विधेयक प्रस्तुत कर इसे मंजूरी के लिए राजभवन भेजा था। जिसे राजभवन से मंजूरी केदारनाथ गंगोत्री यमुनोत्री में पूर्व व्यव्स्था बहाल हो गई है।
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