देश में बेरोजगारी, महंगाई, शिक्षा स्वास्थ्य जैसे मुद्दे लेकिन हिजाब पर सियासत जारी

देशभर में चुनाव से पहले हिजाब का मामला गरमाता नजर आया। वहीं इसी बीच देशभर की कई जगह पर महिलाओं ने मोर्चा खोल दिया। जगह- जगह इस मामले पर आवाज उठाते हुए मुस्लिम महिलाओं ने कहा कि देश में करीब 5 करोड लोग बेरोजगार है भुखमरी के मामले में भी देश 101 वें स्थान पर है, शिक्षा स्वास्थ्य महंगाई जैसे कई सारे मुद्दे हैं , लेकिन देश में चुनाव से पहले इन मुद्दों की बजाए मुस्लिम महिलाओं के पहनावे को लेकर एक बड़ा बवाल काटा गया यह बहुत निंदनीय है। संविधान के आर्टिकल 15 और आर्टिकल 21 के तहत भारत के हर नागरिक को अपना धर्म , अपनी संस्कृति को बनाए रखने का अधिकार मिला है ऐसे में इस तरीके से मुस्लिम महिलाओं के पहनावे को लेकर हंगामा करना संविधान को ठेस पहुंचाता है। हिजाब का यह मामला राजधानी देहरादून से भी दूर नहीं रहा ।राजधानी देहरादून की ऊंचे ओहदे पर काम करने वाले मुस्लिम महिलाओं ने इसके खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया।
राजधानी देहरादून की सीनियर अधिवक्ता और उत्तराखंड क्रांति दल के वरिष्ठ नेता लताफत हुसैन के नेतृत्व में रैली निकाली गई और जिलाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन दिया गया और इस मामले को संज्ञान में लेते हुए मुस्लिम महिलाओं की सुरक्षा की अपील की गई।

इस दौरान सीनियर अधिवक्ता रजिया बैग ने कहा कि मुस्लिम महिलाएं दबाव में हिजाब नहीं पहनती है बल्कि हिजाब महिलाओं की गरिमा का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि आखिर क्यों महिलाओं को ही टारगेट किया जाता है?

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रजिया बेगम सरकार पर हमला करते हुए कहा कि कहां गया सरकार का मुस्लिम महिलाओं से वह प्रेम जब तीन तलाक की बात करते थे और आज जब सुली और बुली ऐप में मुस्लिम महिलाओं की नीलामी की गई तब उनके मुंह से एक शब्द नहीं निकला, जब मुस्लिम महिलाओं के पहनावे को लेकर हंगामा हो रहा है तब सीएम योगी भी गलत बयान दे रहे हैं ।

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