कोलन कैंसर(Colon Cancer) :लक्षण, कारण और इलाज, एम्स विशेषज्ञों ने दी जानकारी

 

Colon Cancer:मोटापा व अनियमित खानपान कोलन कैंसर की मुख्य वजह  है।-विशेषज्ञों की राय जनजागरुकता व खानपान पर से ही कम हो सकते हैं कोलन कैंसर के मामले

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Colon Cancer के खिलाफ जागरूकता अभियान

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दुनियाभर में कैंसर पर अनुसंधान, डेटा एकत्र व प्रकाशन करने वाली संस्था अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी ग्लोबोकॉन इंटरनेशनल एजेंसी फ़ॉर रिसर्च ऑन कैंसर द्वारा 2020 में जारी अंतिम रिपोर्ट के अनुसार संस्था को कैंसर के एक वर्ष में 65,000 से अधिक केस प्राप्त हुए थे, जिनमें 35,000 मरीजों की मृत्यु कोलन कैंसर द्वारा हुई थी। इस एजेंसी के अनुसार कोलोरेक्टल कैंसर भारत में 05वें नंबर का बड़ा कैंसर है। बदलाव प्रकृति का नियम है और इंसानी जिंदगी और यह विकास के लिए जरूरी भी है, मगर कुछ बदलाव ऐसे भी हैं जो या तो कुछ मजबूरियों के कारण हमारे जीवन में घुसपैठ करके आ गए या फिर हमने आधुनिक जीवनशैली के नाम पर उन्हें अपना लिया। ऐसा ही बदलाव हमारे खानपान संबंधी आदतों में हुआ है, जो ऊपरी तौर पर तो गंभीर मामला नहीं लगता। मगर वर्तमान समय में कुछ बदलाव ऐसे भी हैं जो या तो कुछ मजबूरियों के कारण हमारे जीवन में घुसपैठ करके आ गए या फिर हमने आधुनिक जीवनशैली के नाम पर उन्हें अपना लिया। ऐसा ही बदलाव हमारे खानपान संबंधी आदतों में हुआ है, जो ऊपरी तौर पर तो गंभीर मामला नहीं लगता। मगर वर्तमान समय के ही कुछ उदाहरण उठा कर देखें या अपने ही जीवन पर गौर करें तो समझ आ जाएगा कि खानपान संबंधी रोजमर्रा की हल्की-फुल्की आदतों ने कई तरह की गंभीर बीमारियों को हमारे जीवन में जगह दी है। एम्स ऋषिकेश के चिकित्सा ऑन्कोलॉजी और रुधिर विज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. अमित सहरावत ने बताया कि अत्यधिक मात्रा में कुछ भी व कभी भी खा लेना एक ऐसा कारण है,जो शरीर के लिए धीमे जहर के तौर पर है और यह आदत धीरे-धीरे व्यक्ति को बीमारियों का शिकार बना देती है। ऐसे में कई तरह के दबाव, चिंताओं ने भी कहीं न कहीं पेट, आंत, हृदय और रक्तचाप संबंधी समस्याओं को बढ़ाया है। बड़ी आंत पाचन तंत्र का हिस्सा होती है, जिसमें कैंसर विकसित होना जीवन को खतरे में डाल सकता है। बड़ी आंत व रेक्टम के कैंसर को कोलोरेक्टल कैंसर कहते हैं। वर्तमान में कैंसर मृत्यु का प्रमुख कारण बन रहा हैं, हालाकि कैंसर का इलाज किया जा सकता है, मगर इसके लिए आवश्यक है कि इसका जल्द से जल्द निदान किया जाए।

Colon Cancer यानी बड़ी आंत का कैंसर किसी भी उम्र में हो सकता है। इसकी शुरुआत बड़ी आंत के कैंसर के संभावित लक्षणों की पहचान कर समुचित जांच अवश्य करानी चाहिए। फास्ट फूड का प्रतिदिन सेवन मोटापा, ईटिंग डिसऑर्डर जैसे रोगों की बढ़ोत्तरी का कारण भी बन रहा है, विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट इस ओर ध्यान आकर्षित करती है कि अधिकतर फास्टफूड और सॉफ्ट ड्रिंक का सेवन युवाओं में हृदय रोग, कैंसर, मोटापे का अहम कारण बन रहे हैं। अक्सर समय बचा लेने और पेट भरने की जल्दबाजी में इस आहार को आदत में शामिल कर लिया जाता है। इससे समय तो बच जाता है, मगर इन खाद्य पदार्थों का अक्सर सेवन से कई शारीरिक दिक्कतों को हावी होने का मौका भी मिल जाता है।

यूं तो मोटापा अपने आप में ही बीमारी है, लेकिन यह जानकर आश्चर्य होगा कि विश्वभर में हर साल  Colon Cancer  के साढ़े 04 लाख से अधिक मामले मोटापे के कारण ही होते हैं। इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आईएआरसी) द्वारा किए गए शोध के अनुसार विकसित देशों में कैंसर के कुल मामलों में से एक चौथाई मामले इस बीमारी का मुख्य कारण मोटापा था। विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से कई ऐसी रिपोर्ट जारी की गई है जिसमें स्पष्टतौर पर भारत में कोलन कैंसर के मामलों और बढ़ते रक्तचाप, मोटापे जैसे रोगों की ओर ध्यान दिलाया गया है।

भारत के मुकाबले पश्चिमी देशों में खानपान संबंधी आदतों के चलते कोलन कैंसर Colon Cancer    के मामले अधिक हैं।

रेड मीट (लाल मांस) सेवन करने वाले देशों में कोलन कैंसर की संभावना अधिक रहती है। पश्चिमी देशों
की तरह भारतीयों की जीवनशैली में रेड मीट और प्रसंस्कृत पदार्थ और नशे का अत्यधिक सेवन आम बात
हो गई है। यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रहा है।

क्या है कोलन कैंसर (What isColon Cancer?)

 

डा. अमित ने बताया कि कोलन कैंसर Colon Cancer  एक प्रकार का कैंसर है, जो बड़ी आंत में विकसित होता है। बड़ी आंत हमारे पाचन तंत्र का अंतिम भाग है। ज्यादातर बड़ी आंत का कैंसर कोशिकाओं के छोटे-छोटे गुच्छे से उत्पन्न होता है, जिसे एडिनोमेटस पॉलिप्स के नाम से जाना जाता है। समय के साथ ये पॉलिप्स बढ़कर कोलन कैंसर (Colon Cancer )के रूप में विकसित हो जाते हैं। पॉलिप्स छोटे होते हैं और कम संख्या में उत्पन्न होते हैं, कोलन कैंसर के लक्षण दिखने के बाद चिकित्सक इसके बचाव के लिए नियमित स्क्रीनिंग टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। टेस्ट में कोलन कैंसर Colon Cancer पता लगने पर पॉलिप्स को कैंसर का रूप लेने से पहले निकाल देते है है, रेक्टल कैंसर मलाशय में होता है कैंसर से होने वाली मौतों में यह एक बड़ा कारण है। समय पर कोलन कैंसर Colon Cancer   का निदान हो जाने पर स्क्रीनिंग और इलाज के जरिए मरीज के जीवन को बचाया जा सकता है।

 

कोलन कैंसर के कारण (Reason of Colon Cancer)

 

ज्यादातर मामलों में यह स्पष्ट नहीं हो पाता है कि कोलन कैंसर (Colon Cancer) होने का कारण क्या है। विभिन्न अध्ययनों से यह निष्कर्ष निकलता है कि कोलन कैंसर तब होता है, जब कोलन में स्वस्थ कोशिकाओं के आनुवांशिक डीएनए में म्यूटेशन या परिवर्तन होता है। शरीर की क्रियाओं को सामान्य बनाए रखने के लिए स्वस्थ कोशिकाएं व्यवस्थित ढंग से विकसित एवं विभाजित होती है। लेकिन जब कोशिका का डीएनए क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो यह कैंसर का रूप ले लेता है और नई कोशिका की आवश्यकता न होने पर भी यह कोशिकाएं लगातार विभाजित होने लगती हैं। जैसे-जैसे कोशिकाएं जमा होती रहती हैं वह ट्यूमर बनाती रहती हैं। समय के साथ कैंसर कोशिकाएं बढ़ती जाती हैं और अपने आसपास की सामान्य कोशिकाओं को नष्ट
करने लगती हैं। कैंसर की कोशिकाएं शरीर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में घूमती रहती है और जमा होती रहती है। म्यूटेशन कई कारण जैसे की अनुवांशिक, भोजन की आदतों, मोटापा आदि से प्रारंभ हो सकती हैं।

 

कोलन कैंसर के लक्षण (Symptoms of Colon Cancer)

 

कोलन कैंसर (Colon Cancer) बड़ी आंत को प्रभावित करता है और आमतौर पर यह छोटे-छोटे पॉलिप्स से विकसित होता है। कोलन कैंसर (Colon Cancer) के शुरुआती चरण में प्रायः इसके लक्षण दिखाई नहीं देते। समय के साथ होने वाले कोलन कैंसर के लक्षण डायरिया, कब्ज, मल में खून, पेट में दर्द, सूजन, वजन में गिरावट, पेट में गांठ, कमजोरी एवं थकान महसूस होना आदि लक्षण दिखाई देते हैं।

 

कोलन कैंसर की जांच ( Diagnosis of Colon Cancer)

 

कोलन कैंसर(Colon Cancer) के प्रारम्भिक लक्षणों को अमूमन नजरअंदाज किया जाता है। जानकारी के अभाव और विभिन्न भ्रांतियों के चलते वह प्रारम्भिक जांच के लिए मना कर देते हैं जो स्वयं के जीवन से खिलवाड़ हो सकता है। कोलोरेक्टल कैंसर का शीघ्र निदान के लिए चिकित्सक मरीज के स्वास्थ्य इतिहास के बारे में जानकारी लेंगे। चिकित्सक कोलन कैंसर (Colon Cancer) का निदान करने के लिए एक या एक से अधिक परीक्षणों की मदद ले सकते हैं। जिसमें मल परीक्षण सिम्मोइडोस्कोपी (बड़ी आंत के अंतिम भाग की जांच करने के लिए ), कोलोनोस्कोपी, सीटी स्कैन, रक्त परीक्षण आदि शामिल हैं ।

 

निदान ( Treatment of Colon Cancer)

 

कोलन कैंसर  (Colon Cancer)  का उपचार मरीज में कैंसर की स्टेज, उसके समग्र स्वास्थ्य एवं उम्र पर निर्भर करता है। ज्यादातर मामलों में कोलन  कैंसर  (Colon Cancer) के इलाज में कीमोथेरेपी, शल्य चिकित्सा व आवश्यक होने पर विकिरण चिकित्सा का सहारा लिया जाता है। कोलन कैंसर (Colon Cancer) को स्क्रीनिंग द्वारा प्रारंभिक अवस्था में पकड़ा जा सकता है। पश्चिमी देशों में 40 से 50 वर्ष की अवस्था के बाद कोलोनोस्कोपी (एक ऐसा परीक्षण है जिसमें किसी व्यक्ति की आंतरिक परत को देख सकते हैं, यदि कोलन में पॉलीप्स है, तो चिकित्सक आमतौर पर उन्हें कोलोनोस्कोपी के दौरान निकाल सकते हैं। यही पॉलीप्स को निकाल लेने से कैंसर की संभावना कम हो जाती है, इस परीक्षण में एक पतली ट्यूब जिसमें प्रकाश और एक कैमरा लगाया हुआ होता है, अंत में गुदा और बृहदान्त्र के अंदरूनी परत को देखेंगे।

 

जागरुकता कार्यक्रम ( Awareness programme for Colon Cancer)

 

आज भारत जैसे देशों में विभिन्न भ्रान्तियों और जानकारी के अभाव के साथ ही मरीजों में जागरुकता की कमी होने के चलते कैंसर को प्रारंभिक अवस्था में पकड़ना चुनौतिपूर्ण हो जाता है, सभी जानते हैं कि “जागरूकता ही निदान का प्रथम सोपान है, लिहाजा इसके लिए जागरूकता अति आवश्यक है, प्रतिवर्ष मार्च माह में महज कैंसर जैसी घातक बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए कोलन कैंसर (Colon Cancer)  जागरूकता माह का आयोजन किया जाता है। मगर इस कैंसर के प्रति जागरूकता के लिए देश-प्रदेश स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम का समय-समय पर आयोजन करना चाहिए। कोलन कैंसर (Colon Cancer) से बचने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को नियमितरूप से स्क्रीनिंग करवाना चाहिए।

जिन व्यक्तियों के परिवार में किसी व्यक्ति को पूर्व में कोलन कैंसर (Colon Cancer) रहा हो, उसे बिना कैंसर के लक्षण के भी एक उम्र के बाद नियमित स्क्रीनिंग करवाते रहना चाहिए। साथ ही नियमित एक्सरसाइज, ज्यादा फल, सब्जियों का सेवन करना चाहिए।

कोलन कैंसर (Colon Cancer)  के प्रारंभिक लक्षण होने पर किसी झोलाछाप, नीम हकीम की बजाए किसी प्रमाणित चिकित्सा केन्द्र में अनुभवी चिकित्सक से चिकित्सीय सलाह लेनी चाहिए।

एक बार कैंसर का निदान होने पर उपचार सरकारी एवं गैरसरकारी संस्थानों में उपलब्ध है, कोलन कैंसर (Colon Cancer) का इलाज मरीज में कैंसर की स्टेज उसके समग्र स्वास्थ्य एवं उम्र पर निर्भर करता है। ज्यादातर मामलों में कोलन कैंसर को अंतिम अवस्था में भी इलाज द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। इम्यूनोथेरेपी, टारगेटेड थेरेपी भी भारत जैसे देशों में संभव है, आवश्यकता है तो जागरूकता की ।

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