देहरादून/ हिना आज़मी-उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के बाद अब कयासों का दौर शुरू हो गया है। भाजपा जहां एक बार फिर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का दावा कर रही है।
वहीं कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत से कहीं ज्यादा करीब 68 फीसदी सीटों पर जीत दर्ज करने का दावा कर दिया है। कांग्रेस सत्ता में वापसी की कोशिश करती दिखाई दे रही है तो वहीं भाजपा हाईकमान नेताओं को दिल्ली तलब कर हालातों का जायजा ले रहा है। जहां एक तरफ भाजपा सक्रिय दिख रही है तो वहीं कांग्रेस भी अलर्ट मॉड में नजर आ रही है। स्ट्रांग रूम के बाहर कांग्रेसी पूरी तरह मुस्तैद है तो वहीं भाजपा के नेता परिणाम से पहले मुलाकात करते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही प्रचंड जीत का दावा कर रही है लेकिन दूसरी और कई सीटों पर कांटे की टक्कर हैं तो कहीं आप, बसपा ,यूकेडी और निर्दलीय प्रत्याशी राजनीतिक गणित बिगाड़ सकते हैं जब से सियासी तोड़फोड़ की आशंका बनी हुई है।
उत्तराखंड राज्य में 14 फरवरी 2022 को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान संपन्न हो चुके हैं ओर जल्द नतीजे साफ होंगे,
मतदान के बाद कांग्रेस, भाजपा से कमान हासिल कर सत्ता पर काबिज होना चाहती है तो वहीं भाजपा अपनी जीत का दावा कर रही है। दोनों ही पार्टी भले ही जीत का दावा कर रही हो लेकिन अंदरखाने दोनों ही पार्टियों की सांसे परिणाम तक थमी हुई नजर आ रही है। मतदान के बाद जहां एक तरफ भितरघात को लेकर भाजपा के नेताओं ने प्रदेश पदाधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोला तो वहीं कांग्रेस ने इस खामी को खुद के लिए अवसर बनाने की जद्दोजहद शुरू कर दी। भाजपा हाईकमान इस पर सतर्क हुआ तो कांग्रेस भी अलर्ट हो गई। कांग्रेस स्ट्रांग रूम के बाहर निगरानी बनाए हुए हैं जिसमें प्रत्याशियों की किस्मत कैद है तो वही भाजपा हाईकमान भी चुनाव की रिपोर्ट जानने के लिए बड़े नेताओं को दिल्ली तलब कर रहा है। दूसरी ओर मुख्यमंत्री धामी और बड़े नेता भी पूर्व मुख्यमंत्रियों से मिलते नजर आए। ऐसे में कांग्रेस का कहना है कि कांग्रेस इस बार अपनी जीत के लिए आश्वस्त है इसीलिए जश्न मना रही है।वहीं भाजपा को इस बार अपनी हार दिख रही है कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा हाईकमान प्रदेश में अपनी हार देख रहा है और इसीलिए उनके नेताओं में हलचल मची हुई है। नाराज नेताओं को भाजपा मनाने की कोशिश कर रही है लेकिन इस बार भाजपा की हार का कारण जनता के विश्वासघात के साथ भितरघात भी होगा।
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साल 2016 में दल बदल के चलते शिकस्त पाने वाली कांग्रेस इस बार का सा अलर्ट नजर आ रही है क्योंकि 42 सीटों का दावा कांग्रेस कर रही है, वहीं बीजेपी भी 60 बार का लक्ष्य पूरा करने के लिए पूरी कोशिश कर चुकी है लेकिन दोनों ही पार्टियों की जीत के दावों के बावजूद अन्य पार्टियों के प्रत्याशी भी सियासी गणित बिगाड़ सकते हैं। वहीं कांग्रेस ने दावा किया है कि भाजपा के बागी इस बार समीकरण बिगाड़ देंगे, वहीं कांग्रेस नेताओं ने यह भी दावा किया है कि भाजपा के कुछ नेता उनके साथ नजदीक बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं हालांकि उन्होंने दो टूक अंदाज में उनसे दूरी बना ली है। साल 2016 में कांग्रेस को दल बदलू नेताओं के चलते कमजोर होकर टूटना पड़ा था तो वहीं भाजपा में चल रहे भीतरघात से भाजपा हाईकमान भी टेंशन में है लेकिन वही 10 मार्च को ही तय होगा कि क्या भाजपा अपना सात पार का लक्ष्य पार कर पाएगी या फिर भाजपा उसी मुहाने पर खड़ी हो जाएगी जिस पर 2016 में कांग्रेस थी, और इसके साथ ही देखना यह भी होगा कि बसपा यूकेडी और दिल्ली मजबूत प्रत्याशी किसका पलड़ा भारी करते हैं?
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- बीजेपी एक्टिव तो कांग्रेस भी अलर्ट
- जीत का दावा लेकिन परिणाम की टेंशन
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