राजधानी देहरादून से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें हत्या के बाद मुकदमा दर्ज किया गया है. अब आप इसमें सोच रहे होंगे कि इसमें अलग क्या है ?
दरअसल, यह मामला एक कुत्ते से जुड़ा है. जी हां, 31 जनवरी को थाना पटेल नगर में कुत्ते की हत्या को लेकर एक तहरीर दर्ज की गई.
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बता दे कि राजधानी के पटेलनगर में कुत्ते की हत्या करने पर पशु क्रूरता अधिनियम के तहत एक मुकदमा दर्ज किया गया है.
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सीओ सिटी भास्कर शाह ने जानकारी देते हुए कहा कि 31 जनवरी को देहरादून के खुदबुड़ा निवासी राजकुमार सूरी ने पटेल नगर थाना क्षेत्र में प्राथमिक रिपोर्ट दर्ज करवाई जिसमें बताया गया कि देहरादून के आईएसबीटी पर रोडवेज कर्मचारियों और अधिकारियों ने कुत्ते की हत्या कर उसे जमीन में दफना दिया है इसके अलावा खुदबुड़ा निवासी राजकुमार सूरी ने पुलिस को वह लोकेशन भी बताई जहां कुत्ते का शव दफनाया गया था. पुलिस ने मौके पर पहुंचकर कुत्ते के शव को बाहर निकाला और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया जिसकी रिपोर्ट आने पर ही कुत्ते की मौत का कारण पता चल पाएगा. दूसरी ओर रोडवेज कर्मचारियों और अधिकारियों पर पशु क्रूरता एक्ट में मामला दर्ज किया गया है.
चूहे मारने पर भी आप पर हो सकता है पशु क्रूरता निवारण एक्ट में मुकदमा दर्ज
यह पहला मामला नहीं है जहां बेजुबान पशुओं के लिए लोगों पर मुकदमा दर्ज हुए हो इससे पहले भी उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से एक ऐसा मामला सामने आया जिसमें एक व्यक्ति पर पशु क्रूरता निवारण एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था क्योंकि उसने एक चूहे की डूबा डूबा कर हत्या कर दी.
देश में पशुओं के साथ हो रही क्रूरता को रोकने के लिए साल 1960 में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम लागू किया गया था.
इसके अलावा इस ऐक्ट की धारा-4 के तहत साल 1962 में भारतीय पशु कल्याण बोर्ड का गठन भी किया गया था. इस अधिनियम का उद्देश्य था कि पशुओं को अनावश्यक सजा या जानवरों पर उत्पीड़न न हो.
मिली जानकारी के अनुसार पशु क्रूरता एक्ट में कई तरह के प्रावधान शामिल हैं जैसे, यदि कोई पशु मालिक अपने पालतू जानवर को आवारा छोड़ देता है, या उसका इलाज नहीं करावाता है या उसे खाने-पीने को नहीं देता है तो ऐसा व्यक्ति पशु क्रूरता का अपराधी होगा जिस पर 10 रुपये से 2000 हजार तक का जुर्माना लगाया जाएगा.